THE 2-MINUTE RULE FOR BHOOT WALI KAHANI

The 2-Minute Rule for bhoot wali kahani

The 2-Minute Rule for bhoot wali kahani

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 तुम्हारे अरविंद मामा ने ताली बजाकर उसे आवाज़ दी " ए कौन है तू? किदर जा रहा है? " यह सोचते हुए कि वह शायद कोई चोर था। लेकिन उसके आवाज़ देते ही वह आकृति बड़ी होती गयी और उसने अपना सर पीछे मोडली !!! अरविंद डरके मारे घबराकर घर भागके आया और अगले दिन उसे तेज़ बुखार हो गया था। हमारे पूछने पर उसने यह सभी बातें बतायीं लेकिन हमें सिनिमिय लगीं लेकिन उसने माँ बवूजी की कसम खाके बताई की उस आत्मा ने बिल्कुल वैसे ही अपना सिर हिलाया था जैसे हारर फिल्मों में होता है। शायद हारर फिल्मों में ऐसे दृश्य को चित्रित कराने के पीछे भी असली घटनायें  कारण हो सकती हैं। क्यों?

वहाँ पर राजू ने एक पुरानी बेहद डरावनी कहानी सुनी कि वहाँ कभी बड़ा एक भूत रहता था जो रात के समय बच्चों को डरा देता था। बच्चा ने वही भूत दिखा दिया जो रो रहा था, और सबने देखा कि यह एक खूबसूरत बच्चा था जो कीचड़ में पड़ा हुआ था।

अगले कुछ दिनों में, बुजुर्ग ने एक छोटे से लकड़ी के टुकड़े से एक प्यारा सा खिलौना बनाया। रात के समय, खिलौना बहुत ही भयंकर रूप में चमकता था, और एक सुरीली संगीत की ध्वनि से गूंथा हुआ था। यह खिलौना वास्तव में अद्वितीय और रहस्यमय दिखता था।

रात बीतती जा रही थी, और युवक ने एक नए दृष्टिकोण से जीवन को देखना सीख लिया था। राजा की आत्मा ने कहा, “यह जगह सिर्फ भूत-प्रेतों की नहीं, बल्कि जीवित लोगों के लिए भी है। यहां आकर लोग अपने आत्मा के साथ मिलकर जीवन की सच्चाई को समझ सकते हैं।”

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भूतों के गुरुजी अपने असली भूतिया रूप में आ गए और पहलवान से माफी मांगी। पहलवान गुरु जी से पूछता है - उनको छोड़ने के बदले उनकी क्या सजा होगी। गुरुजी ने अपने आप ही स्वीकार कर लिया कि जितना राशन पहलवान के घर पर आता है अब उसका दुगना राशन पहलवान के घर पर भिजवा दिया जाएगा। जिसके पास बाद पहलवान गुरुजी को छोड़ देता है। 

यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक युवक, राज, के बारे में है जो अपने दादा-दादी के साथ रहता था। गाँव में हमेशा कुछ अजीब सी बातें होती रहती थीं और लोग कहते थे कि गाँव के पास एक भूतों का शहर है। राज, भले ही बहुत ही नौसिखिया और बहादुर था, लेकिन भूतों की कहानियों से डरता था।

इसके बाद मोहन उस औरत के साथ उसी घर में रहने लगा। मोहन को भैंसों का दूध पीने के अलावा कोई काम नहीं आता था। ऐसे में कुछ दिन बाद जब घर का राशन खत्म होने लगा तो महिला ने उससे कहा कि वह बाहर जाकर कुछ कमा कर लेकर आए या फिर राजा के पास जाकर खेती के लिए जमीन मांग ले ताकि वह खेती कर अपना भरण पोषण कर सके।

दूसरी बात उसी वक्त की है जब हम कार में रहते थे। गर्मी का मौसम था। हम रात को टेरेस पे या अपने रूम के बाहर सोते थे। हमारे रूमके बायें तरफ सीढ़िया ऊपर जाती थी , कुछ सीढ़ियों के बाद एक बड़ा स्पेस था उसके बाद फिर सीढ़ियाँ ऊपर गुजरातियों के घर के तरफ जाती थी। उस बड़े स्पेस में तुम्हारे अरविंद मामा सोते थे।

औरत को लगा कि पहलवान जरूर उसके पति को जानता होगा। अपने एक हाथ से गाल मलते हुए औरत ने पहलवान को अतिथि कक्ष में बैठने के लिए कहा और उसे जलपान कराने लगी। इतने में औरत का पति वहां पहुंच गया। एक पराए मर्द के साथ अपनी पत्नी को देखकर वह गुस्से से मोहन की ओर इशारा कर पत्नी से पूछने लगा कि यह शख्स कौन है। औरत ने डरते हुए कहा कि उसे लगा कि वह परिचित है इसलिए उसने उसे भीतर आने दिया।

दोनों ने अपनी रूचि से सौंदर्य बढ़ाते हुए रात के अंधेरे में घर की ओर बढ़ते read more हुए अपनी बातचीत की। घर की छत पर बैठे एक आदमी ने उनको देखा और मुस्कराते हुए कहा, “तुम लोग क्या ढूंढ़ रहे हो?”

राजू और सुरेश ने हैरान होकर पूछा, “लेकिन लोग तुम्हें यहाँ भूत कहते हैं।”

कहानी सुनतेही उनकी आंखों में इस पौराणिक गुफा के बारे में पता लगाने के इच्छा जाग उठी। उन्होंने कुछ स्नैक्स, पानी और एक टॉर्च पैक किया और गुफा ढूंढ़ने के लिए निकल पड़े। गांब वाले उन्हें यह कहते हुए चेतावनी दी कि यह गुफा भूतिया और खतरनाक है, लेकिन राम और सोनू कहां किसी की सुनने वाले थे।

सोनपुर नाम का एक बड़ा सा गांव हुआ करता था जहां अधिकतर खेतीबाड़ी करने वाले किसान रहा करते थे। वहीं, गांव के पास ही घने जंगलों के बीच पीपल के पेड़ में एक भूत रहा करता था। भूत दिनभर तो गायब रहता, लेकिन रात होते ही वह गांव वालों को खूब परेशान किया करता था।

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